बाबा सिद्धनाथ की दरी की स्थिति
यह जलप्रपात चुनार से राजगढ़ सम्पर्क मार्ग पर चुनार से लगभग 17 किमी० की दूरी पर सक्तेशगढ़ नामक स्थान पर स्थित हैं | यह प्राकृतिक वादियों से परिपूर्ण एक मनोरम स्थान हैं | यहाँ आकर मानों वही चैन व् सुकून वापस मिल गया हो | यहाँ पहाड़ी झरना हैं जो कई फीट ऊँचाई पर स्थित है |
कैसे जाएँ
यहाँ जाने का एक मात्र साधन सड़क मार्ग हैं | चुनार ऑटो स्टैंड से आप गाड़ी बुक कर सकते हैं या यहाँ से चलाने वाली बस के द्वारा भी आप जा सकते हैं | पर मेरी राय में आप अपनी गाड़ी बुक कर ले तो आपको काफी लाभ होगा क्योकि रास्ते में और भी कई मनोहारी स्थल हैं , जहाँ आप अपनी इच्छा के अनुरूप अपना समय व्यतीत कर सकते हैं |
इतिहास
यह स्थल केवल एक जलप्रपात क्षेत्र ही नहीं हैं बल्कि बाबा सिद्धनाथ की तपस्थली भी हैं | बाबा सिद्धनाथ स्थल पर समीप में ही स्थित एक छोटी सी गुफा में मन्दिर स्वरूप उनकी समाधि भी स्थित हैं | बरसात के दिनों में यह और भी आकर्षक हो जाती हैं पर साथ ही उतना ही भयावह भी होती हैं | एक कहावत भी कही गयी हैं कि जो वस्तु जितना सुन्दर होती हैं वह वस्तु उतना ही खतरनाक भी होती हैं | यह एक पिकनिक स्थल हैं | यहाँ स्थित पहाड़ एवं उनकी हरियाली इसकी सुन्दरता को और भी बढ़ा देता हैं |
क्या करें
यह स्थल लगभग 100 मीटर से अधिक चौड़ी व् 700 मीटर से अधिक लम्बे क्षेत्र में फैला हैं | यहाँ दस से भी अधिक पहाड़ी नालो से जलप्रपात में पानी पहुचता हैं | पहाड़ की कन्दरा से बारहों महीने निकलने वाले जल के स्रोत को यहाँ के लोग पाताल गंगा कहते हैं | यहाँ आप चाहे तो पिकनिक के उद्देश्य से बाटी – चोखा , खीर – पूरी आदि अन्य तरह के पिकनिक व्यंजन बना कर उनका आनन्द उठा सकते हैं | अगर आप केवल घूमना चाहते हैं तो खाने का सामान पैक करा ले , फिर यहाँ आ कर मस्ती करें | यहाँ की पहाड़ी नदियों में जंगली पौधों का अक्स एवं खनिज – पदार्थो का चूर्ण मिला हुआ हैं अर्थात यहाँ स्नान करने पर आपको एक अजीब सी अनुभूति एवं ताजगी का एहसास होगा | झरने के बीच पत्थर की चट्टान पर बैठकर आप प्रकृति की सुन्दरता को महसूस कर सकते हैं |
बाबा सिद्धनाथ की दरी की तलहटी में स्वामी अड़गड़ानन्द महाराज जी का भव्य आश्रम हैं जिसे यहाँ परमहंस आश्रम के नाम से भी जानते हैं | स्वामी अड़गड़ानन्द महाराज जी के दर्शनों को लालायित उनके शिष्य यहाँ उपस्थित रहते हैं | यथार्थ गीता की रचना स्वामी अड़गड़ानन्द महाराज जी ने की | यहाँ प्रतिदिन सुबह 9 बजे भण्डारे का आयोजन किया जाता हैं | गुरु पूर्णिमा पर महाराज के दर्शन एवं बाबा सिद्धनाथ के तपस्थली पर शीश नवाने के लिए लगभग 8 लाख से भी अधिक संख्या यहाँ जुटती हैं | साथ ही भण्डारे में प्राप्त प्रसाद को पाकर वे अपने आप को धन्य महसूस करते हैं |
इस प्रकार यहाँ जलप्रपात पर मस्ती के साथ ही साथ धार्मिक समागम का भी लाभ उठाया जा सकता हैं |
सावधानियाँ
पहाड़ी झरनों एवं नदियों में अक्सर अचानक पानी बढ़ने का खतरा रहता हैं | जिसे थोड़ी सी सावधनी से दूर किया जा सकता हैं |
- सबसे पहले झरने या फाल पर नहाते समय लापरवाही ना बरते |
- पत्थरों पर होने वाले फिसलन का विशेष ध्यान रखें |
- नशे में धुत होकर फाल के अन्दर प्रवेश ना करे , यह वर्जित हैं |
- बारिश के समय कोशिश करे फाल में ना नहाये क्योंकि पानी कभी भी बढ़ सकता हैं |
- फाल पर मौजूद गहरे कुंड में जाने से बचे , इसमें अच्छे तैराक का भी बाहर निकलना मुश्किल होता हैं |
- निर्धारित स्थल पर ही भोजन करें |
- भोजन या पिकनिक उपरान्त उस स्थान को साफ़ करना कतई ना भूले क्योंकि अगर स्वच्छता होगी तभी आप या हम वहाँ जायेंगे अन्यथा नहीं |
- कपड़े बदलते समय विशेष सावधानी बरते |
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